पर्सनालि डेवलपमेंट की सबसे ख़ास बात जो लोगों को बताई जाती है, वो यह है की किस तरह आपको खुद को पेश करना चाहिये। मसलन अगर आप किसी से मिलने जाते है और आपको कोई बात पसंद नहीं आती है तो उस वक़्त जरुरी नहीं है की आप उसकी हर बात से सहमत रहें आप एक सहेज़ अंदाज़ में आपकी ना पसंद के बारे में बता देना चाहिये। जो है वैसा बर्ताव (बी रियल), जब भी आप किसी से बात करें तो उस बात का कोई मकसद हो, कई लोगों को सुनने की आदत नहीं होती है और यह लोगों की सबसे बड़ी खामी है अगर आप बोलना कहते है तो दूसरों की भी सुनना चाहिये। जब कोई जोक्स मरते है तो भले ही कितना आम जोक्स क्यूँ न हो आपको सबके साथ मुस्कुराना चाहिये, हसना चाहिये।
इन सभी बातों में सबसे ज्यादा जरुरी यह है की आपकी सोच सकारात्मक होने चाहिये। दुनिया में जरुरी नहीं है की सभी चीज़े आपके अनुरूप चलें, कभी कभी इस बात की निराशा हो जाती है। लेकिन सोचने की बात यह है की जो हो गया उस पर किसी का काबू नहीं है जो है और आने वाला है हम उसके बारे में सोचें और निरंतर कार्य करते रहें, और अपनी ताकत को पहचाने कि आप कहाँ अच्छे है और कहाँ आप कमज़ोर पड़ सकतें है। और ऐसी किसी भी बात या विवाद में ना पड़े जिसके बारे में आपको कोई ज्ञान ना हो।
सभी की जिन्दगी अलग अलग तरह से ढली होती है। कुछ लोगों के जीवन में परिश्रम ज्यादा होता है और कुछ लोग आसानी से चीज़े हासिल कर लेते है। लेकिन यह बात हम सबको समझने की जरुरत है की सबकी जिन्दगी अलग होती है और हर कोई उसके हिसाब से परिश्रम करता है। तो जरुरी नहीं है की जो आप सोच रखते है वही सामने वाला भी रखता हो।
कार्य उतना ही हाँथ में लेना चाहिए जितना आप कर सकें। ज्यादा कार्य लेकर, कम काम करने से ग़लतफ़हमी बढती है। इसलिए आपको यह पता होना चाहिए है की आपकी क्षमता क्या है। आपकी यह जवाबदारी हो जाती है की जो आपने वादे किए है उसे पूरा करें। कई ऑफिस में टारगेट दिए जातें है, और ऐसे समय बॉस को ना बोलना कठिन होता है। लेकिन बॉस को हाँ बोल कर काम ना करना आपकी जॉब पर खतरा पड़ सकता है। इसलिए अगर आप वो कार्य ना कर पा रहें हो तो आप अपने बॉस से इस बारे में चर्चा करें। और कार्य को सटीकता से करने का प्रयास करें।
और साथ ही ज्यादा से ज्यादा समय अपनी कार्य को दे और जब आप का कार्य ख़तम हो जाये तो फिर आप पूरा समय अपने आप को दें। क्यूंकि एक बहुत पुरानी कहावत है “आल वर्क एंड नो प्ले मेक्स जैक अ डल बॉय” जिसका मतलब यह हुआ की काम और आपकी निजी जिन्दगी दोनों ही जिन्दगी के वो पहलु है जिसके बिना गुज़ारा नहीं होता है।
पर्सनालिटी अगर अच्छी हो तो सभी लोग आपकी तारीफ करते है सराहते है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट का मुख्य मकसद ही आपको दूसरों की नज़रों में लाना है। खुद को सही रीति से पेश करना पर्सनालिटी डेवलपमेंट का एक हिस्सा है। जिसमे सेल्फ कॉन्फिडेंस का बहुत बड़ा हाँथ होता है। इसके अलावा भी कई ऐसी बातें है जो पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए जरुरी है जो इस प्रकार है।
अच्छे कपड़ो का चयन अच्छेकप का चयन
अक्सर होता यूँ है की जब आप किसी कंपनी में होते है तो उस कंपनी का अपना ड्रेस कोड होता है। कुछ लोग फोर्मल्स पर ज्यादा जोर देते है और कुछ इंडस्ट्री कज्युएल पर जोर देती है। जब भी आप किसी कंपनी के साथ जुड़ते है तो आपको वहां के नियम अनुसार कपड़ों का चयन करना होता है। साथ ही कलर कॉम्बिनेशन, टाई, बेल्ट, शूज़, नैपकिन (रुमाल) आदि का चयन शामिल होता है।
बातचित करने का तरीकाजनबियों से बात करना
बहुत-से लोग अजनबियों से बातचीत शुरू करने में झिझकते हैं। लेकिन यहोवा के साक्षी, परमेश्वर यहोवा और अपने पड़ोसी के प्यार की खातिर, बातचीत करने का हुनर सीखते हैं, क्योंकि वे दूसरों को बाइबल की सच्चाई सिखाना चाहते हैं। अजनबियों से बातचीत करने में सुधार करने के लिए कौन-सी बात आपकी मदद करेगी?
इसमें फिलिप्पियों में दिया सिद्धांत, बहुत अहमियत रखता है। इस आयत में हमें बताया गया है कि हम “अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता क[रें]।” अब ज़रा सोचिए: इससे पहले आप उस इंसान से कभी नहीं मिले, इसलिए आप उसके लिए एक अजनबी हैं और आपको देखकर उसके मन में कई सवाल, कई शंकाएँ उठ रही होंगी। आप उसकी घबराहट कैसे कम कर सकते हैं? अच्छी तरह मुस्कराइए और दोस्ताना अंदाज़ में दुआ-सलाम कीजिए। लेकिन इसके अलावा, और बातों पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।
हो सकता है कि वह कुछ सोच रहा हो और आपके बात करने से उसके विचारों में रुकावट आ गयी हो। अगर आप उसके विचारों का लिहाज़ न करते हुए, उसका ध्यान बस अपने विचारों की तरफ लाने की कोशिश करें, तो क्या वह आपका संदेश सुनने के लिए तैयार होगा? जब यीशु, सामरिया में एक कुएँ के पास एक स्त्री से मिला, तो उसने क्या किया? वह स्त्री पानी भरने के बारे में सोच रही थी। इसलिए यीशु ने उससे पानी के बारे में ही बातचीत शुरू की और कुछ ही समय बाद उनके बीच आध्यात्मिक बातों को लेकर एक दिलचस्प चर्चा हुई।—यूह.
अगर आप अपने आँख-कान खुले रखेंगे, तो आपको भी अंदाज़ा होगा कि सामनेवाला किस बारे में सोच रहा है। क्या वह खुश नज़र आ रहा है या उदास है? क्या वह बुज़ुर्ग और शायद उम्र ढलने की वजह से कमज़ोर है? क्या उसके घर की चीज़ों से जान पड़ता है कि घर में बच्चे हैं? क्या वह अमीर है, या क्या घर का गुज़ारा करने के लिए उसे दिन-रात मेहनत-मशक्कत करनी पड़ती है? क्या उसके घर की सजावट या उसके गहनों से मालूम पड़ता है कि वह किसी धर्म पर आस्था रखनेवाला है? अगर आप इन सारी बातों को मन में रखते हुए, उससे दुआ-सलाम करेंगे, तो उसे यह महसूस हो सकता है कि आपकी और उसकी दिलचस्पी मिलती-जुलती है।
अगर आप किसी घर पर जाते हैं, और घर-मालिक दरवाज़ा नहीं खोलता बल्कि अंदर से ही बात करता है, तो इससे क्या पता चलता है? यही कि उसे अपनी हिफाज़त की चिंता है। तो क्या आप इसी विषय पर बातचीत शुरू कर सकते हैं?
कुछ जगहों में अगर आप अपने बारे में कुछ बताएँ, तो आप लोगों को बातचीत में शामिल करने में कामयाब हो सकते हैं। जैसे कि आप कहाँ से हैं, उनके घर क्यों आए हैं, आप परमेश्वर को क्यों मानते हैं, आपने बाइबल का अध्ययन करना क्यों शुरू किया और बाइबल में लिखी बातों से आपको कैसे मदद मिली। मगर हाँ, यह सारी जानकारी सोच-समझकर और सही मकसद से देनी चाहिए। खुद के बारे में बताने से सामनेवाला शख्स भी अपने बारे में कुछ बताना चाहेगा और अपनी राय ज़ाहिर करेगा।
कुछ संस्कृतियों में घर पर आए मेहमानों की खातिरदारी करने का दस्तूर होता है। ऐसी जगहों पर लोग खुशी-खुशी आपको घर के अंदर आकर बैठने के लिए कह सकते हैं। जब आप बैठ जाते हैं, तो अदब के साथ घर के लोगों की खैरियत पूछिए और ध्यान से उनका जवाब सुनिए। ऐसा करने से वे भी आपकी बात ध्यान देकर सुनेंगे। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो मेहमानों में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। इसलिए बाइबल का संदेश सुनाने से पहले, आपको शायद जान-पहचान बढ़ाने में ज़्यादा वक्त बिताना पड़े। इस दौरान हो सकता है, वे पाएँ कि उनकी और आपकी दिलचस्पी काफी मिलती-जुलती है। इससे आध्यात्मिक चर्चा करने का रास्ता खुल सकता है और इसके अच्छे नतीजे निकल सकते हैं।
अगर आपके इलाके में ऐसे बहुत-से लोग हैं जिनकी भाषा आप नहीं जानते हैं, तब आप क्या कर सकते हैं? आप ऐसे लोगों तक अपना संदेश कैसे पहुँचा सकते हैं? अगर आप उनकी भाषा में दुआ-सलाम के कुछ आसान से लफ्ज़ सीखकर उनका इस्तेमाल करें, तो उन्हें एहसास होगा कि आपको उनमें दिलचस्पी है। इससे आगे की बातचीत के लिए रास्ता खुल सकता है।
आप का हावभाव- भाव
जब भी आप ऑफिस या पर्सनल जिंदगी में किसी से मिलते है तो आपके हाव- भाव सही रहना जरुरी है। ख़ास तौर पर यह बात उन लोगों पर साबित होती है जिनके नीचे कई लोग काम करते है, क्यूंकि आपने जूनियर्स से काम करवाने के लिए आपने हाव भाव का सही होना जरुरी है क्यूंकि लोग आपका काम तो कर देते है लेकिन वो काम उपरी मन से करते है इसलिए आपका हव भाव इस तरह होना चाहिये की लोग आपको अपना मान कर काम कर सकें।
Motivational speechवेशनल स्पीच
जब भी मोटिवेशन की बात आती है, तो हम जिस तरह से भी मोटीवेट हो सकते है उस बात पर अनुसरण करना चाहिये। जैसे अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में जो भी आपके हीरो है और ख़ास तौर से वो जो लोगो को इंस्पायर करते है उन्हें सुनना चाहिये। इससे आपको आपके कार्य करने में मदद मिल सकेगी।
Gratitude
कृतज्ञ)
जब भी आपके लिए कोई कुछ करता है। या राह चलते भी आपको देख कोई मुस्कुराता है तो आप भी उसे देख कर उन्हें भी वही भाव दे। जब कोई आपका काम करता है या आपकी मदद करता है तो आप उसे आदर भाव से धन्यवाद दे और साथ ही एक दुसरे के मदद के लिए हमेशा तैयार रहें।
Compliment
कॉम्पलिमेंट (प्रशंसा करना)
जब भी आप किसी में भी कोई भी बात अच्छी देखे तो उनकी प्रशंसा करें। आम तौर पर होता यह है की जब कोई काम अच्छा हो जाता है तो कई लोग उसका क्षेय खुद पर और जब कोई काम गलत होता है तो वो काम की जिम्मेदारी वर्कर्स पर डाल देते है। साथ ही कॉम्पलिमेंट का मतलब यह भी होता है की जब आप आने कार्य करने वालों के साथ रहते है तो आप एक दुसरे कि अच्छी बातों की तारीफ करें। यह बिज़नस बढ़ने का एक अच्छा तरीका है।
Dress up
अच्छे कपड़ो का चयन
अक्सर होता यूँ है की जब आप किसी कंपनी में होते है तो उस कंपनी का अपना ड्रेस कोड होता है। कुछ लोग फोर्मल्स पर ज्यादा जोर देते है और कुछ इंडस्ट्री कज्युएल पर जोर देती है। जब भी आप किसी कंपनी के साथ जुड़ते है तो आपको वहां के नियम अनुसार कपड़ों का चयन करना होता है। साथ ही कलर कॉम्बिनेशन, टाई, बेल्ट, शूज़, नैपकिन (रुमाल) आदि का चयन शामिल होता है।
चालढाल
चलने का तरीका
जब भी आप ऑफिस या किसी होटल या रोड पर चलते है तो आपको आपनी चल पर विशेष ध्यान देना होता है। चलते वक़्त तेज़ चलना, सीधा देखना और लोगों को ग्रीट करना अच्छा आचरण मन जाता है। कई लोग चलते चलते पीछे बात करते है और किसी से टकरा जाते है, साथ ही चलते चलते लोगों को क्रॉस करते है। यह सभी बातें आपके आचरण को गलत साबित करती है। इसलिए जब भी आपको चलते वक़्त कॉंफिडेंट, सीधा देखना और लोगों को चलते वक़्त सम्मान देना अच्छा होता है।
Eye contact
सामने बैठे
अक्सर हम देखते है की ऑफिस में या कॉलेज में कोई मीटिंग के दौरान कुछ लोग पीछे बैठना पसंद करते है। इसके पीछे कोई भी कारन हो सकता है। लेकिन हमे कोशिश यह करनी चाहिये की हम आगे बैठे और जो भी लो कह रहे है उसे ध्यान से सुने और आपने कार्यों में अमल करें। इससे आपका और आपके सीनियर के बीच कम्युनिकेशन का बांड स्थापित हो जाता है।
Speaking skills
स्पीक अप (बोलना)
कई लोग कितनी भी बुरी परिस्तिथि क्यूँ न आ जाये लेकिन कुछ बोलते नहीं है। इसा सीधा सीधा कारन डर होता है। लेकिन जब भी आप किसी ऑफिस में काम करते है या घर या स्कूल में पढाई करते है यह आपका आधिकार होता है की आप उन सब बारे में जाने जो आपके पढाई या कार्य से सम्बंधित है। यह आपका अधिकार है, इससे आपको आपके कार्य में गति मिलती है।
Contribution
कॉन्ट्रिब्यूशन (योगदान) पर जोर
अगर आप किसी कंपनी या स्कूल में हो तो आपको ग्रुप्स में काम करने का अनुभव दिया जाता है। यह अनुभव इसलिए दिया जाता है ताकि आप आपने कार्य क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकें। आपको एक दुसरे के लिए योगदान देना होता है, कोई लिखता है, तो कोई उसे जांचता है, तो कोई उसे एडिट कर फाइनल कॉपी बनता है। यह एक ग्रुप वर्क है जो हर कॉर्पोरेट में चलाया जाता है।
Workout
वर्कआउट
अगर आप किसी मामले में कम आके जाते है तो यह आपकी भी उतनी ही जिम्मेदारी बनती है जितनी आपके टीचर या सीनियर की, की वो आपको उन सब चीज़ों की ट्रेनिंग दे जिस में आप अच्छे नहीं है। धीरे धीरे आप इन वर्कआउट के जरिये उन सभी बातों को सीख जाते है, जो आपके कार्य के लिए जरुरी है।
अच्छे कपड़ो का चaयन
Best personality development tips in hindi | ब्यक्तित्व का विकास क्या है
Reviewed by Ramesh
on
June 18, 2018
Rating:
Reviewed by Ramesh
on
June 18, 2018
Rating:

No comments: